विश्वविद्यालय
अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी
गांधीयुग के जमीनी कार्यकर्त्ता
(20-21 दिसंबर, 2013)
कुल सचिव आचार्य संगोष्ठी
संयोजक
डॉ. राजेन्द्र खिमाणी प्रो. कनुभाई नायक प्रो.
महेबूब देसाई
इतिहास एवं संस्कृति विभाग
महादेव देसाई समाज सेवा महाविद्यालय,
गूजरात विद्यापीठ
आश्रम रोड, अहमदाबाद-380014
राष्ट्रीय आन्दोलन
में गांधी के प्रवेश से आन्दोलन का पूरा चरित्र ही बदल गया। गांधी ने भारतीय
राष्ट्रीय आन्दोलन को जन-जन तक पहुँचाया। राष्ट्रीय आन्दोलन के मुद्दों को जनता से
जोड़ा। सही मायनों में देखा जाए तो इसी समय में ही स्वतन्त्रता संघर्ष ने
राष्ट्रीय स्वरूप लिया था। भारतीय राष्ट्रीय कॉग्रेस जो कि अभी तक एक अभीजात वर्ग
का ही एक संघठन हुआ करता था उसमें जमीनी कार्यकर्त्ता जुड़ने लगे। भारत के सुदूर
और पहुँच की दृष्टि से जटिल माने जाने वाले विस्तारों में भी लोग पहुँचे और
स्वतन्त्रता की अलख जगाई। ईस्वी सन् 1920 से लेकर 1947 तक का काल भारतीय इतिहास
में गांधी के प्रभाव का युग माना जाता है, इसलिये यहाँ पर गांधी युग से तात्पर्य
1920-1947 का काल है।
यद्यपि इस काल में
भारतीय राजनीति और सामाजिक स्तर पर गांधी का प्रभाव व्यापक था किन्तु इससे भिन्न
विचारधाराओं का भी अपना प्रभाव था। राजनीति, राज्यव्यवस्था, समाज-व्यवस्था आदि को
लेकर अपने-अपने विश्लेषण थे। इन विभिन्न विचारधाराओं से भारतीय राजनीति और समाज
दोनों के स्वरूप और चरित्र में व्यापक बदलाव देखने को मिलते हैं। वास्तव में ये वो
समय था जिसे हम भारत के नवजागरण का चरम मान सकते हैं। राजनीतिक स्वतन्त्रता के
साथ-साथ अधिकारों, कर्त्तव्यों, जरूरतों आदि पर विचार और कार्य होने लगा। ये
मुद्दे अब सत्ता पर विचार-विमर्श के मुद्दे नहीं रहे बल्कि जन-विचार के मुद्दे
बनने लगे। अब महज अंग्रेजों से नहीं बल्कि हर तरह की गुलामी से मुक्ति की बात
सामने आने लगी। इस प्रकार की चेतना में जमीन से जुड़े कार्यकर्त्ताओं की सबसे अहम
भूमिका रही है। हम जमीनी कार्यकर्ता उसे कह सकते हैं जो किसी भी कार्यक्रम में सबसे
निचले स्तर पर काम करता हो अर्थात वो उन स्थानीय प्रतिनिधियों के लिये जमीन तैयार
करता हो जिन्हें हम सामान्य भाषा में जन-प्रतिनिधि के रूप में जानते हैं। किसी भी
कार्यक्रम की सच्ची और आधारभूत ताकत तो वही होता है। फिर चाहे वो कोई राजनीतिक
कार्यक्रम हो, गांधीजी के रचनात्मक कार्यक्रम हो, कोई ट्रेड युनियन का आन्दोलन हो,
सामाजिक मुद्दों को लेकर किया गया कार्य हो, शैक्षणिक या साहित्यिक गतिविधियाँ हो।
अब तक इतिहास लेखन
में राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख नेतृत्व की बात ही होती रही है। हालाँकी उपाश्रय
अध्ययन ने जमीनी स्तर के इतिहास-लेखन का कार्य किया है। किन्तु ऐसे जमीनी स्तर के
कार्यकर्ता जो कि उन बड़े बदलावों की नींव की तरह थे जो बाद में देखे गए और जो आज
भी हो रहे हैं, के विषय में इतिहास अभी भी पूरी तरह नहीं खुला है। इस संगोष्ठी का
मूल उद्देश्य गांधी युग में भारत के विभिन्न हिस्सों में सामाजिक-राजनीतिक बदलावों
के लिये कार्य करने वाले उन जमीनी कार्यकर्ताओं के विषय में पटल पर लाना है
जिन्हें आज तक इतिहास में कभी भी स्थान नहीं मिला और वे इतिहास की सुन्दर इमारत
में नींव के पत्थर की तरह दब गए हैँ।
उप विषयः-
- राजनीतिक
कार्यकर्त्ता
- रचनात्मक
कार्यकर्त्ता
- ट्रड युनियन
कार्यकर्त्ता
- महिला
कार्यकर्त्ता
- मुस्लिम
कार्यकर्त्ता
- साहित्यिक
गतिविधियाँ एवं कार्यकर्त्ता
- दलित, आदिवासी
एवं कृषक कार्यकर्त्ता
कार्यक्रम
20 दिसंबर, 2013
9.30 रजिस्ट्रेशन
10.00-11.15 उद्घाटन
11.15-1.30 पहला
सत्र
1.30-2.15 भोजन
2.15-4.15 दूसरा
सत्र
4.15-4.30 चाय
4.30-6.30 तीसरा
सत्र
7.30 रात्री
भोजन
21 दिसंबर, 2013
8.30-9.00 नाश्ता
9.00-11.15 चौथा
सत्र
11.15-11.30 चाय
11.30-1.30 पाँचवा सत्र
1.30-2.15 भोजन
2.15-4.15 छठा
सत्र
4.15-4.30 चाय
4.30-5.30 समापन
सत्र
अनुदेश
शोध पत्र भेजने संबंधी
अनुदेश
Ø शोध पत्र की शब्द
सीमा 4000 से अधिक नहीं होनी चाहिये।
Ø शोध पत्र गुजराती,
हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में स्वीकार्य किये जाएँगे।
Ø शोध पत्र में
गुजराती भाषा के लिये श्रूति, हिन्दी के लिये मंगल
एवं अंग्रेजी के लिये टाईम्स न्यू रोमन फोंट का प्रयोग किया
जाए।
Ø शोध पत्र के साथ
250 शब्दों का सार भी भेजना अनिवार्य है।
Ø कुल 40 शोध पत्रों
का चयन स्क्रूटिनी कमिटी के द्वारा किया जाएगा।
Ø जिन शोध पत्रों का
चयन किया जाएगा उन्हें ही प्रस्तुत करने की अनुमति होगी।
Ø चयनित शोध पत्र के
लेखक को स्वयं प्रस्तुत होने पर भारतीय रेलवे का द्वीतिय श्रेणी स्लीपर का किराया
उसके स्थान से अहमदाबाद तक का दिया जाएगा, इसके लिये टिकिट प्रस्तुत करना होगा।
Ø शोध पत्र स्वीकारने
की अन्तिम तारीख- 10 नवंबर, 2013 रहेगी।
Ø 20 नवंबर, 2013 तक
चयनित शोध पत्रों की सूचना दे दी जाएगी।
Ø शोध पत्र निम्न
लिखित पते पर सॉफ्ट एवं हार्ड कॉपी में भेजे जा सकते हैं-
डॉ. महेबूब देसाई
अध्यक्ष, इतिहास
एवं संस्कृति विभाग
गूजरात विद्यापीठ,
आश्रम रोड़
अहमदाबाद- 380014
ई-मेल- mehboobudesai@gmail.com
संपर्क –
09825114848, 079-40016277 (कार्यालय),
079-26818841 (निवास)
रजिस्ट्रेशन
फीस
Ø शोध पत्र चयनित अभ्यर्थी के लिये
- 500
Ø संगोष्ठी में बिना शोध पत्र के भाग लेने वालों के लिये - 800
(सभी
अभ्यर्थियों की ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था आयोजन संस्था द्वारा किया जाएगा)